हाईकाेर्ट ने कहा- जब खाली पद उपलब्ध हैं तो फिर संस्कृत शिक्षा विभाग ने सरप्लस शिक्षकों को क्यों, यह जनता के खजाने की बर्बादी है

 संस्कृत शिक्षा विभाग में 800 से ज्यादा शिक्षक सरप्लस हैं, लेकिन पश्चिमी राजस्थान की स्कूलों में 50 फीसदी से ज्यादा पद खाली हैं। राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि यह समझ से बाहर है कि जब खाली पद उपलब्ध हैं तो फिर संस्कृत शिक्षा विभाग ने सरप्लस शिक्षकों को क्यों रोककर रखा है। यह हालात पदस्थापन करने की बुद्धिमत्ता का खुला मजाक है। साथ ही जनता के खजाने की बर्बादी है। चीफ जस्टिस इंद्रजीत महांति औैर डॉ. जस्टिस पुष्पेंद्रसिंह भाटी की खंडपीठ ने संस्कृत शिक्षा विभाग के सचिव को 10 फरवरी काे इस पर स्पष्टीकरण पेश करने के आदेश दिए हैं।


कोर्ट ने अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल गौड़ को अतिरिक्त शपथ पत्र के साथ संस्कृत शिक्षा विभाग में सरप्लस शिक्षकों की जानकारी पेश करने के निर्देश दिए थे। डीईएसओ जोधपुर वीरेंद्रसिंह चौहान ने एफिडेविट के साथ यह जानकारी पेश की। कोर्ट ने कहा कि शपथपत्र में पेश की गई जानकारी से सरप्लस शिक्षकों की बेहद डरावनी तस्वीर प्रकट होती है। पांच प्रिंसिपल, 77 सीनियर टीचर, लेवल वन के 238 टीचर, लेवल टू के 538 टीचर सरप्लस हैं। कोर्ट यह जानकर हैरान है कि 800 से ज्यादा शिक्षक सरप्लस हैं, जबकि पश्चिमी राजस्थान की स्कूलों में 50 फीसदी पद अब तक खाली हैं। कोर्ट ने संस्कृत शिक्षा विभाग के सचिव से तीन दिन में ऐसे हालात के संबंध में स्पष्टीकरण पेश करने के निर्देश दिए हैं। काेर्ट ने कहा कि अगर जवाब संतोषजनक नहीं हुआ तो वे संबंधित जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त आदेश जारी करेंगे। एफिडेविट में यह बताना होगा कि इतने सारे शिक्षक सरप्लस क्यों है, इन्हें किस मद से वेतन दिया जा रहा है?Image result for high court